MSc Environment Science कोर्स : एमएससी पर्यावरण विज्ञान या मास्टर ऑफ साइंस इन एनवायरनमेंट 2 साल का पीजी कोर्स है, जिसमें छात्र रसायन विज्ञान, इंजीनियरिंग, जीव विज्ञान संरक्षण और पारिस्थितिकी जैसे कई अलग-अलग क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल कर सकते है।
एमएससी पर्यावरण विज्ञान में एडमिशन राज्य या राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षाओ के माध्यम से या योग्यता के आधार पर लिया जा सकता है। कुछ संस्थान विश्वविद्यालय स्तर के एमएससी पर्यावरण विज्ञान प्रवेश परीक्षा भी आयोजित करते हैं।
एमएससी पर्यावरण विज्ञान, बायोमेडिकल रिसर्च एंव जीव विज्ञान का एक मुख्य भाग है जिसे उम्मीदवार विभिन्न स्पेशलाइजेशन में कर सकते है जिसमें इकोलॉजी, इंजीनियरिंग, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान आदि। इसके साथ ही उम्मीदवार एमएससी पर्यावरण विज्ञान कोर्स करने के बाद विभिन्न सरकारी एंव प्राइवेट सेक्टर में अपनी स्किल्स के आधार पर आसानी से नौकरी पा सकते है।
डिग्री | पोस्ट ग्रेजुएशन |
कोर्स | एमएससी पर्यावरण विज्ञान |
कोर्स का पूरा नाम | मास्टर ऑफ़ साइंस इन एनवायरनमेंट |
अवधि | 2 वर्ष |
योग्यता | ग्रेजुएशन |
आयु | कोई आयु सीमा नही है |
एडमिशन का तरीका | मेरिट या प्रवेश परीक्षा |
कोर्स फीस | 25,000 से 3,00,000 रुपये |
औसत वेतन | 3 से 7 लाख प्रति वर्ष |
नौकरी क्षेत्र | जैव प्रौद्योगिकी फर्म, वन्यजीव फोटोग्राफी, कृषि और वन विभाग, रिसर्च सेवाएँ, पशु अनुसंधान केंद्र, राष्ट्रीय प्राणी उद्यान, वन विभाग, कॉलेज / विश्वविद्यालय और वन्यजीव जर्नलिज्म। |
नौकरी प्रोफाइल | पर्यावरण विज्ञान प्रोफेसर, पर्यावरण अधिकारी, अपशिष्ट प्रबंधन अधिकारी, जल संसाधन विशेषज्ञ, जलवायु नियंत्रक, जल संसाधन विशेषज्ञ, शोधकर्ता आदि। |
एमएससी पर्यावरण विज्ञान कोर्स के लिए लिया जाने वाली फीस सरकारी / सरकारी कॉलेजों और प्राइवेट कॉलेजों के लिए 25,000 से 3,00,000 रूपये तक है। अधिकांश एमएससी पर्यावरण विज्ञान कॉलेजों में एडमिशन मेरिट-आधारित है, लेकिन कुछ विश्वविद्यालय अपनी प्रवेश परीक्षा के माध्यम से एडमिशन की अनुमति देते है।
एमएससी पर्यावरण विज्ञान कोर्स क्या है?
क्या एमएससी पर्यावरण विज्ञान अच्छा है? एमएससी पर्यावरण विज्ञान कोर्स भारत में दो साल का पोस्ट ग्रेजुएशन डिग्री कोर्स है। इस कोर्स में भौतिक विज्ञान, जैविक विज्ञान, पारिस्थितिकी, जीव विज्ञान, भूगोल, वायुमंडल आदि जैसी अवधारणाओं को शामिल किया गया है। एमएससी पर्यावरण विज्ञान कोर्स पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र का एक बेहतरीन अध्ययन है।
वह उम्मीदवार जो पर्यावरण से जुड़ी अवधारणा और सिद्धांतों को समझने में गहरी रुचि रखते है, वह एमएससी पर्यावरण विज्ञान कोर्स करने का विचार कर सकते हैं। एमएससी पर्यावरण विज्ञान कोर्स छात्रों को पर्यावरण मैनेजमेंट, पर्यावरण संरक्षण के समाधान और पर्यावरण प्रदूषण और खतरों के बारे में अध्ययन के लिए उपाय खोजने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
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एमएससी पर्यावरण विज्ञान कोर्स क्यों करना चाहिए?
एमएससी पर्यावरण विज्ञान कोर्स उन अहम कोर्सेस में से एक है जिन्हें भारत सरकार द्वारा भी बढ़ावा दिया जा रहा है। वर्तमान समय में भारत के अधिकांश प्रमुख कॉलेज और विश्वविद्यालय इस कोर्स की पढ़ाई कराते हैं। भले ही इस कोर्स का अपना महत्व है, यहां आपको कोर्स की पढ़ाई के कुछ प्रमुख लाभों का विवरण नीचे दिया गया है।
- एमएससी पर्यावरण विज्ञान उन छात्रों के लिए एक बेहतर विकल्प है जो पर्यावरण के बारे में चिंतित हैं और पर्यावरण की रक्षा करना चाहते हैं।
- पोस्ट ग्रेजुएशन स्तर पर पर्यावरण विज्ञान में एमएससी कोर्स करने के बाद, छात्रों के लिए प्राइवेट और सरकारी दोनों क्षेत्रों में नौकरी के अवसरों की अपार संभावनाएं हैं।
- पर्यावरण विज्ञान में एमएससी पूरा करने के बाद उम्मीदवार रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान, इंजीनियरिंग, संरक्षण और पारिस्थितिकी जैसे कई क्षेत्रों विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं।
- एमएससी पर्यावरण विज्ञान ग्रेजुएट्स जनता को पर्यावरण पर विभिन्न चीजों के खतरनाक प्रभाव के बारे में चेतावनी भी दे सकते हैं और साथ ही कुछ खतरों की भविष्यवाणी भी कर सकते हैं और उसके लिए चेताबनी नोट भी जारी कर सकते हैं।
- एमएससी एनवायरनमेंटल साइंस डिग्री कोर्स पूरा करने के बाद आप संरक्षणवादी के रूप में अपना करियर बना सकते हैं या पर्यावरण इंजीनियर के रूप में भी काम कर सकते हैं।
एमएससी पर्यावरण विज्ञान कोर्स के प्रकार
भारत में एमएससी पर्यावरण विज्ञान कोर्स को उम्मीदवार विभिन्न सरकारी एंव प्राइवेट कॉलेजो के माध्यम से रेगुलर या डिस्टेंस मोड में कर सकते है।
फुल टाइम एमएससी पर्यावरण विज्ञान : यह कोर्स भारत के अधिकतम संस्थानों द्वारा रेगुलर मोड में कराया जाता है। यह कोर्स छात्रों को प्रैक्टिकल और थेओरिटिकल दोनों के माध्यम से पढ़ाया जाता हैं। इस कोर्स को इच्छुक उम्मीदवार ग्रेजुएशन करने के बाद मेरिट एंव प्रवेश परीक्षा के आधार पर कर सकते है।
डिस्टेंस एमएससी पर्यावरण विज्ञान : भारत में कुछ ऐसे भी विश्वविद्यालय है जो डिस्टेंस मोड में छात्रों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए पढ़ाई करने की अनुमति देते है। डिस्टेंस एजुकेशन से अध्ययन करने वाले छात्रों को नियमित रूप से कॉलेज जाने की आवश्यकता नहीं होती है। क्योंकि कक्षाएं सप्ताह में एक या दो बार आयोजित की जाती हैं और उम्मीदवार इसमें सीधे ही एडमिशन ले सकते है।
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MSc Environment Science कोर्स : न्यूनतम योग्यता
पर्यावरण विज्ञान में परास्नातक कौन कर सकता है? एमएससी पर्यावरण विज्ञान कोर्स को करने के लिए आपको नीचे दी गयी न्यूनतम योग्यता मानदंडों को पूरा करना होगा है:
इस कोर्स में एडमिशन लेने के लिए छात्रों ने विज्ञान / अर्थशास्त्र / पर्यावरण / इंजीनियरिंग / गणित / सांख्यिकी / भूगोल / भूविज्ञान में ग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त की होनी चाहिए।
उम्मीदवारों को शीर्ष कॉलेज के माध्यम से एडमिशन के लिए राज्य या राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी।
जिन उम्मीदवारों ने ग्रेजुएशन स्तर पर कम से कम 40% या उससे अधिक अंक प्राप्त किए हैं, वह एडमिशन के लिए आवेदन करते है।
MSc Environment Science कोर्स : एडमिशन प्रक्रिया
एमएससी पर्यावरण विज्ञान कोर्स के लिए एडमिशन प्रक्रिया योग्यता के आधार पर एंव राज्य या राष्ट्रीय स्तर या विश्वविद्यालय स्तरीय प्रवेश परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर की जाती है। भारत के अधिकतम विश्वविद्यालय मेरिट के आधार पर एडमिशन प्रदान करते हैं। उम्मीदवारों को विश्वविद्यालय या कॉलेज द्वारा जारी कट-ऑफ स्कोर को पूरा करना आवश्यक है। मेरिट लिस्ट के आधार पर छात्रों को एडमिशन दिया जा सकता है।
प्रवेश परीक्षा आम तौर पर एक घंटे की होती है और इसमें बहुविकल्पीय प्रश्न शामिल होते हैं जो अंग्रेजी, विश्लेषणात्मक तर्क और मात्रात्मक क्षमता में दक्षता के आधार पर छात्रों का आकलन करते हैं।
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एमएससी पर्यावरण विज्ञान कोर्स के भविष्य में अवसर
एमएससी पर्यावरण विज्ञान की नौकरी के अवसर क्या है? मास्टर ऑफ साइंस इन एनवायरनमेंट साइंस कोर्स पूरा करने के बाद कोई भी उम्मीदवार विभिन्न स्कूलों में शिक्षण करियर के लिए जा सकता है और नेट परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद, व्यक्ति कॉलेजों / विश्वविद्यालयों के स्तर पर स्थायी लेक्चरर बन सकते हैं।
MSc पर्यावरण विज्ञान कोर्स बहुत पॉपुलर और डिमांड है क्योंकि इसके साथ-साथ छात्रों के लिए नौकरी और करियर के अवसर होते हैं। कई कंपनियाँ या भर्तीकर्ताओं को पर्यावरण विज्ञान में स्पेशलाइजेशन रखने वाले ग्रेजुएट्स की तलाश होती है। छात्र विभिन्न संगठनों में स्वास्थ्य मैनेजर, प्रशिक्षक, शिक्षक, संरक्षणकारी, आदि जैसी विभिन्न भूमिकाओं में प्लेस होते हैं।
इस कोर्स को पूरा करने के बाद उम्मीदवार मुख्य रूप से वन्यजीव फोटोग्राफी निर्माता, रिसर्च सहायक, वरिष्ठ आपदा जोखिम मॉडलर, पर्यावरण तकनीशियन, वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी, पर्यावरण फोटोग्राफर और पर्यावरण पत्रकार के पद प्रारंभिक वेतन के रूप में 3 से 7 लाख रुपये प्रतिवर्ष पा सकते है।