एमए मनोविज्ञान कोर्स : मास्टर ऑफ आर्ट्स इन साइकोलॉजी, जिसे एमए मनोविज्ञान के रूप में भी जाना जाता है, मनोविज्ञान के क्षेत्र में ये 2 वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएशन स्तर का मास्टर डिग्री कोर्स है। जिसमें छात्रों को क्लिनिकल साइकोलॉजी, हेल्थ साइकोलॉजी, वर्क साइकोलॉजी, सोशल साइकोलॉजी, न्यूरोसाइकोलॉजी, इमोशंस और पैराडाइम स्टडीज के बारे में सिखाया जाता है।
एमए मनोविज्ञान कोर्स का उद्देश्य छात्रों को न केवल मनोविज्ञान की मौलिक समझ हासिल करने में मदद करना है बल्कि समस्त नेतृत्व क्षमता में सुधार करना है। जैसा कि यह क्षेत्र इतना व्यापक है, गैर-सरकारी संगठनों, शैक्षणिक संस्थानों, पुनर्वास केंद्रों, किशोर न्याय विभागों, सरकारी संगठनों और खेल उद्योग सहित अन्य स्थानों में नौकरी की अपार संभावनाएं हैं।
डिग्री | पोस्ट ग्रेजुएशन |
कोर्स | एमए मनोविज्ञान |
कोर्स का पूरा नाम | मास्टर ऑफ़ आर्ट्स इन साइकोलॉजी |
अवधि | 2 वर्ष |
योग्यता | ग्रेजुएशन |
आयु | कोई आयु सीमा नहीं |
एडमिशन का तरीका | प्रवेश परीक्षा / मेरिट |
कोर्स फीस | 40,000 से 2,00,000 |
औसत वेतन | 3 से 8 लाख प्रति वर्ष |
नौकरी क्षेत्र | मेन्टल हेल्थ सेंटर, एनजीओ, रिसर्च सेंटर & शिक्षण संस्थान आदि। |
नौकरी प्रोफाइल | क्लीनिकल साइकोलोजिस्ट, सोशल वर्कर, कॉउंसलर, मनोविज्ञान अध्यापक आदि। |
एमए मनोविज्ञान की ट्यूशन फीस काफी हद तक कॉलेजों एंव विश्वविधालयों द्वारा निर्धारित की जाती है। कॉलेजों की फीस एक दुसरे से अलग होती है, आमतौर पर फीस संस्थान के मैनेजमेंट द्वारा निर्धारित की जाती है। प्राइवेट कॉलेजों की ट्यूशन फीस सरकारी कॉलेजो की तुलना में अधिक हो सकती है। औसतन, एमए मनोविज्ञान की कुल फीस 40,000 से 2,00,000 रुपये के बीच होती है।
एमए मनोविज्ञान कोर्स क्या है?
मनोविज्ञान सामाजिक विज्ञान का ही एक उपक्षेत्र है। मनोविज्ञान मास्टर डिग्री के साथ, छात्र मानव मस्तिष्क और व्यवहार के हर पहलू के बारे में विस्तारपूर्वक सीखते है। इसके अलावा, मनोविज्ञान ग्रेजुएट्स ये जान सकते हैं कि लोग समाज, संस्कृति और मौजूदा चुनौतियों से कैसे प्रभावित होते हैं।
M.A. Psychology एक प्रसिद्ध पोस्टग्रेजुएट स्तर की मास्टर्स डिग्री है यह कोर्स दो वर्ष की अवधि का होता है, जिसे चार सेमेस्टरों में वितरित किया जाता है। M.A. in Psychology छात्रों को मनोविज्ञान के बारे में एक व्यापक और गहरे अध्ययन का मौका प्रदान करता है। इस विशेष Psychology कोर्स में M.A. करने वाले छात्रों को क्षेत्र के गहरे और उन्नत हिस्सों के साथ-साथ इसके प्रोफेशनल पहलुओं की समझ प्राप्त होती है। यह कोर्स मनोविज्ञान पर केंद्रित है, और इस डिग्री में एनरोल होने वाले छात्र मानव मनोविज्ञान और व्यवहार के बारे में सीखते हैं।
रिस्क मैनेजमेंट, प्रेरणा और मन के कार्य, संघर्ष मैनेजमेंट और व्यवहार कुछ ऐसे ज्ञान हैं जो एमए मनोविज्ञान कोर्स में समझने को मिलते हैं। मनोविज्ञान में एमए डिग्री मनोविज्ञान पर पूरी तरह से मनोविज्ञान पर आधारित है, और इसमें एडमिशन लेने वाले छात्र मानव मनोविज्ञान और उसके व्यवहार के बारे में सीखते हैं।
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एमए मनोविज्ञान कोर्स क्यों करना चाहिए?
हम इंसान भले ही बाहरी दुनिया के बारे में बहुत कुछ जानते हो, लेकिन खुद के बारे में गहराई से नहीं समझ पाते है। जैसे-जैसे दुनिया जटिल होती जा रही है हम खुद से दूर होते जा रहे हैं। इस विषय का अध्ययन करने से आपको अपने आपको भी समझने में मदद मिलेगी।
एक अनुमान के मुताबिक़ मनोविज्ञान विभाग में नौकरी की वृद्धि 2025 तक 25% बढ़ने की उम्मीद है। तनाव, उच्च दबाव और लोगों में समय के साथ बढ़ते अकेलेपन से निपटने के लिए दुनिया को अधिक से अधिक मनोचिकित्सकों की आवश्यकता है। यह आधुनिक युग द्वारा बनाया गया क्षेत्र है और यह इसके साथ ही विकसित होगा।
एमए मनोविज्ञान कोर्स करने के बड़ा उम्मीदवार विभिन्न विभागों में मनोचिक्तिक के रूप में काम कर सकते है या फिर अपनी शिक्षा जारी रखना चाहते है तो इसके आप मनोविज्ञान में पीएचडी करने का विकल्प भी चुन सकते है।
एमए मनोविज्ञान कोर्स के Types
एमए मनोविज्ञान कोर्स को उम्मीदवार अपनी इच्छा अनुसार रेगुलर, ऑनलाइन एंव डिस्टेंस मोड में कर सकते है जिनकी जानकारी आपको नीचे दी गयी है:
एमए मनोविज्ञान रेगुलर कोर्स : एमए मनोविज्ञान कोर्स फुल टाइम या रेगुलर 2 वर्षीय कोर्स है जिसमें छात्रों को कॉलेज क्लास, असाइनमेंट आदि के माध्यम से पढ़ाया जाता है इसलिए ये वर्किंग प्रोफेशनल के लिए नहीं है। रेगुलर एमए मनोविज्ञान कोर्स को उम्मीदवार विभिन्न विश्वविधालयों एंव कॉलेजो में मेरिट या प्रवेश परीक्षा के आधार पर एडमिशन ले सकते है।
डिस्टेंस एमए मनोविज्ञान कोर्स : भारत में कुछ संस्थान डिस्टेंस मोड के माध्यम से भी एमए मनोविज्ञान कोर्स प्रदान करते हैं। ऐसे में कोर्स पूरा करने में लगने वाला समय 2 साल के बजाय 5 साल तक हो सकता है। डिस्टेंस मोड में भी उम्मीदवार ग्रेजुएशन के बाद एडमिशन ले सकते है और इसकी कुल फीस 20,000 से 1,40,000 रूपये के बीच है।
ऑनलाइन एमए मनोविज्ञान कोर्स : वर्तमान समय में कुछ विश्वविद्यालय ऑनलाइन मोड में भी एमए मनोविज्ञान कोर्स को करा रहे है क्योंकि इन्हे यूजीसी की ओर से मंजूरी मिल गयी है। ऑनलाइन एमए मनोविज्ञान कोर्स में भी ग्रेजुएशन के बाद एडमिशन लिया जा सकता है, जिसकी कुल फीस 30,000 से 1,40,000 रूपये के बीच है।
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एमए मनोविज्ञान के लिए योग्यता क्या है?
क्या मैं सीधे मनोविज्ञान में एमए कर सकता हूं? हाँ, एमए मनोविज्ञान कोर्स के लिए न्यूनतम योग्यता एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय में अलग-अलग हो सकती हैं। हालाँकि, उम्मीदवारों को जिन न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करना चाहिए उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- उम्मीदवारों के पास मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय या मान्यता प्राप्त संस्थानों से ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए।
- कुछ भारतीय विश्वविद्यालय मनोविज्ञान में ग्रेजुएशन करने वाले छात्रों को वरीयता देते हैं।
- कुछ विश्वविद्यालयों की अपनी प्रवेश परीक्षा होती है, और छात्रों को एडमिशन लेने के लिए प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य है।
- इसके साथ ही छात्रों ने ग्रेजुएशन की डिग्री में न्यूनतम 40% अंक प्राप्त किए होने चाहिए।
एमए मनोविज्ञान कोर्स : एडमिशन प्रक्रिया
कॉलेजों के आधार पर एमए मनोविज्ञान कोर्स में एडमिशन की अलग-अलग आवश्यकताएं हैं। छात्रों को उनकी प्रवेश परीक्षा और ग्रेजुएशन की डिग्री के परिणामों के आधार पर कई कॉलेजों में एडमिशन दिया जाता है। कुछ विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा में उनके प्रदर्शन के आधार पर एडमिशन स्वीकार करते हैं।
जबकि अधिकतम भारतीय संस्थान छात्रों के ग्रेजुएशन में प्राप्त अंको के आधार पर एडमिशन की अनुमति देते है जिसमें पहले छात्रों को संस्थान में आवेदन करना होता है और फिर मेरिट सूची जारी की जाती है जिसमें अगर उम्मीदवार स्थान प्राप्त कर लेता है तो उसको एडमिशन की मंजूरी मिल जाती है।
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एमए मनोविज्ञान कोर्स के भविष्य में अवसर
मनोवैज्ञानिक डॉक्टर की मांग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है, जिस बजह से एमए मनोविज्ञान कोर्स का दायरा और नौकरी के अवसर भी बढ़ते जा रहे हैं। यह कोर्स करने के बाद छात्र क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, साइकोलॉजिकल काउंसलर, रिहैबिलिटेशन सेंटर्स में साइकोलॉजिस्ट या स्पोर्ट्स साइकोलॉजिस्ट के रूप में भी नौकरी पा सकते हैं। इसके अलावा वह विभिन्न गैर सरकारी और सामाजिक संगठनों के साथ भी काम कर सकते हैं।