MBA Rural & Marketing Management कोर्स : एमबीए रूरल एंव मार्केटिंग मैनेजमेंट कोर्स छात्रों को कृषि के क्षेत्र में सहकारी समितियों और संबंधित संगठनों के ग्रामीण क्षेत्र, योजना, संगठन और नियंत्रण के लिए मैनेजमेंट सिद्धांतों के अनुप्रयोग का अध्ययन कराता है। यह 2 वर्षीय पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स है जो कि छात्रों को ग्रामीण और कृषि क्षेत्र के उद्यमों की योजना बनाने, उन्हें व्यवस्थित करने और नियंत्रित करने के लिए शिक्षित करता है।
एमबीए रूरल एंव मार्केटिंग मैनेजमेंट कोर्स पूरा करने के बाद, आप ग्रामीण विकास अधिकारी, रिसर्च अधिकारी, ग्रामीण कार्यकारी, ग्रामीण मैनेजर, वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी, प्रशिक्षक, शोधकर्ता, सलाहकार, राष्ट्रीय बिक्री विकास मैनेजर आदि के रूप में काम कर सकते हैं। इन प्रोफेशन में दिया जाने वाला शुरुआती वेतन 3.4 से 6 एलपीए के बीच होता है जो धीरे-धीरे अनुभव के साथ बढ़ सकता है।
डिग्री | पोस्ट ग्रेजुएशन |
कोर्स | एमबीए रूरल एंव मार्केटिंग मैनेजमेंट |
कोर्स का पूरा नाम | मास्टर ऑफ़ बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन इन रूरल एंव मार्केटिंग मैनेजमेंट |
अवधि | 2 वर्ष |
योग्यता | ग्रेजुएशन |
आयु | कोई आयु सीमा नहीं |
एडमिशन का तरीका | मेरिट या प्रवेश परीक्षा |
कोर्स फीस | 1,00,000 से 6,00,000 रुपये |
औसत वेतन | 4 से 10 लाख रुपये प्रति वर्ष |
नौकरी क्षेत्र | बीमा कंपनियां, शैक्षणिक संस्थान, टाटा टेलीसर्विसेज, फाइनेंसियल संस्थान, बैंक, अमूल श्रीराम समूह, ग्रामीण और कृषि फाइनेंसिंग कंपनी आदि |
नौकरी प्रोफाइल | सेल्स / बिज़नेस डेवलपमेंट मैनेजर, रूरल डेवलपमेंट ऑफिसर, रूरल एग्जीक्यूटिव, रूरल मैनेजर, नेशनल सेल्स डेवलपमेंट मैनेजर आदि। |
भारत में टोटल क्वॉलिटी मैनेजमेंट कोर्स के लिए लिया जाने बाला औसत शुल्क 45,000 से 3,00,000 के आसपास हो सकता है। हालंकि एमबीए रूरल मैनेजमेंट कोर्स की पेशकश करने वाले प्राइवेट कॉलेज सरकारी कॉलेज की तुलना में अधिक शुल्क लेते हैं।
एमबीए रूरल एंव मार्केटिंग मैनेजमेंट कोर्स क्या है?
एमबीए टोटल क्वॉलिटी मैनेजमेंट कोर्स भारत के विभिन्न संस्थानों की मदद से रेगुलर एंव डिस्टेंस मोड में किया जा सकता है, और इसकी अवधि लगभग दो वर्ष है, जिसे चार सेमेस्टर में विभाजित किया गया हैं। इस कोर्स ग्रामीण क्षेत्रों में एक संगठन के उत्पादों और सेवाओं को बढ़ावा देने के लिए तकनीकों और मार्केटिंग रणनीतियों को सीखना शामिल है। इस कोर्स को हाल ही के वर्षों में डिस्टेंस मोड में भी शुरु किया गया है ताकि आर्थिक रूप से अस्थिर छात्र या जिनके पास समय की कमी है वह अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें।
एमबीए रूरल एंड मार्केटिंग मैनेजमेंट छात्रों को संबंधित क्षेत्रों में विशेषता प्रदान करके करियर के विभिन्न अवसर प्रदान करता है। इस कोर्स के माध्यम से आप भारतीय फाइनेंसियल प्रणाली, ई-कॉमर्स, अर्थशास्त्र, रिसर्च पद्धति, ग्रामीण समाज और संस्थानों, कृषि-व्यवसाय और अन्य विषयों में ज्ञान प्राप्त कर सकते है।
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एमबीए रूरल एंव मार्केटिंग मैनेजमेंट कोर्स क्यों करना चाहिए?
एमबीए रूरल & मार्केटिंग मैनेजमेंट कोर्स करने से व्यक्ति की रोजगार क्षमता में सुधार करने में मदद मिलती है जिससे उन्हें कृषि उद्योग में नौकरी के बेहतर अवसर मिल सकते है।
एमबीए रूरल & मार्केटिंग मैनेजमेंट पाठ्यक्रम थ्योरी और केस स्टडी प्रदान करने पर केंद्रित है जो किसी फर्म या कंपनी को मैनेज करने में मदद करता है। इसमें ग्रामीण उद्योग के संदर्भ में एकाउंटिंग, फाइनेंसियल मैनेजमेंट, नेतृत्व कौशल, मार्केटिंग ज्ञान आदि शामिल है।
यह कोर्स करियर को बढ़ावा देता है और कृषि के क्षेत्र में बेहतर वेतन पैकेज और शानदार नेटवर्क के साथ करियर परिवर्तन करने में मदद करता है।
एमबीए रूरल & मार्केटिंग मैनेजमेंट में प्रोजेक्ट, असाइनमेंट और केस स्टडीज भी शामिल हैं जो छात्रों को उनके मैनेजमेंट स्किल्स को आगे बढ़ाने के दौरान वास्तविक समय की वास्तविक व्यावसायिक समस्याओं का अभ्यास करने और उन्हें हल करने में मदद करते हैं।
MBA Rural & Marketing Management कोर्स के Types
एमबीए रूरल एंव मार्केटिंग मैनेजमेंट कोर्स को कोई भी योग्य उम्मीदवार अपनी इच्छानुसार रेगुलर या डिस्टेंस मोड में करने का विचार कर सकता है :
फुल-टाइम एमबीए रूरल एंव मार्केटिंग मैनेजमेंट: एमबीए रूरल एंव मार्केटिंग मैनेजमेंट दो वर्षीय रेगुलर कोर्स है जो भारत के कुछ ही संस्थान में कराया जाता है। इस कोर्स के दौरान छात्रों को को कॉलेज जाकर पढ़ने की आवश्यकता होती है, इस रेगुलर कोर्स में उम्मीदवार एडमिशन योग्यता या प्रवेश परीक्षा के आधार ले सकते है।
डिस्टेंस एमबीए रूरल एंव मार्केटिंग मैनेजमेंट: इस कोर्स को डिस्टेंस मोड में भी 2 से 4 साल में पूरा किया जा सकता है। डिस्टेंस मोड में उम्मीदवार को कॉलेज जाकर क्लास अटेंड करने की आवश्यकता नहीं है इसके अलावा वह कही भी रहकर पढ़ाई कर सकते है, इसलिए डिस्टेंस कोर्स को अक्सर वर्किंग प्रोफेशनल्स एंव उन छात्रों द्वारा किया जाता है जो किसी कारणवश कॉलेज जाने में असमर्थ है।
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MBA Rural & Marketing Management कोर्स : न्यूनतम योग्यता
एमबीए रूरल एंव मार्केटिंग मैनेजमेंट कोर्स में एडमिशन के लिए योग्यता मानदंड, जो सभी एमबीए कोर्स के लिए सामान्य है, जो नीचे दी गयी है :
टोटल क्वॉलिटी मैनेजमेंट में एमबीए एडमिशन के लिए छात्रों को किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 3 वर्ष या 4 वर्ष का ग्रेजुएशन पूरा करना चाहिए।
साथ ही उम्मीदवारों को यूजी स्तर पर न्यूनतम 50% या समकक्ष सीजीपीए स्कोर करना चाहिए और इसके अलावा आरक्षित श्रेणियों के लिए 5% की छूट प्रदान की जाती है।
MBA Rural & Marketing Management कोर्स : एडमिशन प्रक्रिया
एमबीए रूरल एंव मार्केटिंग मैनेजमेंट में एडमिशन अधिकतम राष्ट्रीय, राज्य या विश्वविद्यालय स्तर की प्रवेश परीक्षा जैसे CAT, XAT, SNAP, NMAT के माध्यम से होता है। इसके पश्चात समूह चर्चा और व्यक्तिगत साक्षात्कार भी होता हैं।
प्रवेश परीक्षा एडमिशन प्रक्रिया अलावा उम्मीदवार योग्यता के आधार पर एडमिशन ले सकते है जिसमें विभिन्न कॉलेजों में एमबीए रूरल एंव मार्केटिंग मैनेजमेंट की डिग्री हासिल करने के इच्छुक उम्मीदवारों को यूजी स्तर पर अच्छे अंक प्राप्त करने की आवश्यकता है। 2022-24 बैच के लिए एडमिशन प्रक्रिया पहले ही शुरू हो चुकी है और उम्मीदवार अपने पसंदीदा कॉलेज की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर है।
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एमबीए रूरल एंव मार्केटिंग मैनेजमेंट कोर्स के भविष्य में अवसर
भारत की विभिन्न मल्टीनेशनल कंपनियां एमबीए रूरल एंव मार्केटिंग मैनेजमेंट ग्रेजुएट्स को नौकरी का अवसर प्रदान करती है। यह कोर्स करने के बाद उम्मीदवार बिज़नेस डेवलपमेंट मैनेजर, सेल्स मैनेजर, रूरल एग्जीक्यूटिव, रूरल डेवलपमेंट ऑफिसर, रिसर्च ऑफिसर, वेंडर डेवलपमेंट मैनेजर एंव सीनियर प्रोग्राम मैनेजर के रूप में बेहतर वेतन के साथ काम कर सकते है।
एमबीए रूरल & मार्केटिंग मैनेजमेंट की डिग्री पूरी करने के बाद, उम्मीदवार या तो नौकरी का विकल्प चुन सकते हैं या पीएचडी कोर्स के लिए जा सकते हैं। एमबीए कोर्स के बाद पीएचडी किसी भी स्पेशलाइजेशन में ली जा सकती है और पीएचडी के लिए न्यूनतम योग्यता मानदंड यूजीसी-नेट या गेट परीक्षा उत्तीर्ण करने के साथ 2 साल की पीजी डिग्री होना आवश्यक है।
आमतौर पर भारत में पीएचडी कोर्स पूरी करने में 3-5 साल लगते हैं, जबकि विदेश में पीएचडी कोर्स की अवधि 4 से 7 साल तक हो सकती है।